Friday, April 20, 2012

सिवाय कर्कश आवाजों के ..........

माँ बनाती थी रोटी

पहली गाय की

आखरी कुत्ते की

एक बामणी दादी की

एक मेहतरानी की


अलसुबह

सांड आ जाता

दरवाज़े पर

गुड की डली के लिए

कबूतर का चुग्गा

कीड़ीयों का आटा

ग्यारस,अमावस,पूनम का सीधा

डाकौत का तेल

काली कुतिया के ब्याने पर

तेल गुड का हलवा

सब कुछ निकल आता था

उस घर से

जिस में विलासिता के नाम पर

एक टेबल पंखा था



आज सामान से भरे घर से

कुछ भी नहीं निकलता

सिवाय कर्कश आवाजों के--


--अश्वघोष

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